लेखनी कहानी -29-Jun-2024
शीर्षक - तपती दोपहर में
आज हम सभी मौसम के साथ साथ जिंदगी जीवन रहते हैं। तपती दोपहर में हम सभी जानते हैं कि गर्म और लू की हवाएं चलती हैं। हम सभी जानते हैं कि तपती दोपहर में खेत पर काम करना और किसान धरती का सीना चीर कर अनाज पैदा करता है। सच तो तपती दोपहर में हम सभी जानते हैं कि अनाज मंडी की पैदावार में हम सभी तपती दोपहर में जिंदगी के रंगमंच पर मानवता का सहयोग करते हैं।
राम सिंह अपने पुश्तैनी गांव में मेहनत और लगन के साथ तपती दोपहर में अपने पुश्तैनी जमीन पर राम सिंह अपने जीवन में मेहनत से ही मानवता के लिए खेती- बाड़ी करके अपने जीवन को सफल बनाने में कामयाब रहता है। राम राम सिंह अपने बेटे अजय से खेती में लग्न करने को कहता था तब अजय अपने पिता राम सिंह से कहता था कि तपती दोपहर में मैं अपना जीवन खराब न करूं। इतनी पढ़ाई करके मैं जीवन खराब नहीं करूंगा।
अजय ऐसा कहकर उसी दिन तपती दोपहर में शहर की बस पकड़ कर रामपुर आ जाता है और वहां अपने दोस्त राजू के कमरे पर पहुंच जाता है। और वह अपने दोस्त राजू से कहता है। अजय भाई में तो अपनी बहन रानी के खातिर यहां उनको पढ़ाने के लिए कमरा ले रखा है। राजू कहता है कि मैं तो अपने पिता के साथ-साथ तपती दोपहर में खेती किसानी का सहयोग करता हूं। क्योंकि हम किसान किसी की नौकरी क्यों करें। ऐसा कहकर राजू अपने गांव के लिए जाने लगता है। और राजू की बहन रानी काँँलेज से पढ़कर आतीं हैं तब राजू अपने दोस्त अजय का परिचय कराता है।
अजय रानी को देखकर बहुत मन ही मन भावों में पसंद करता है तब राजू अपनी बहन रानी से कहता है यह तपती दोपहर में खेती किसानी न करके नौकरी करने आ गया है। तब रानी कहती हैं अपनी सोच है रानी भी अजय को देखकर बहुत मन ही मन पसंद करती हैं। राजू कहता है एक दो दिन यहां रह कर दूसरा कमरा देख लेगा को कोई बात नहीं है। और राजू अजय और रानी के विश्वास मत पर दोनों को छोड़ गांव की ओर रवाना हो जाता है।
रानी अजय से कहती हैं आप भी मेहनत करने से डरते हैं। तपती दोपहर में ही मेहनत से आप जीवन के साथ देश के देशवासियों को सहयोग करते हैं। सच किसान ही तपती दोपहर में मेहनत से देश का अन्नदाता कहलाता हैं।
राजू बातों में रानी से पूछता है अगर मैं खेती में अपने पिता का तपती दोपहर में खेती किसानी में सहयोग करूंगा तब तुम मेरे लिए खाना खेत पर लाएगी। रानी शर्म से लाल हो हां कह देती है। राजू थैले का समान भूल गया था वह लेने दोबारा कमरे पर आता है। तब रानी और अजय कै गले मिलता देख राजू पूछता है यह सब क्या है। तब रानी कहती हैं भैया मुझसे ब्याह करना चाहते हैं। राजू खुश हो जाता है बोला कोई बात नहीं दोस्त तुम अपने माता-पिता से बात कर लो। अजय अपने गाँव अपने में घर आकर पिता की खेती किसानी में तपती दोपहर में पिता के साथ-साथ जीवन जीने में सहयोगी बन जाता है। और राजू की जिंदगी में रानी आ जाती है। और तपती दोपहर में अजय को खाना पीना लेकर खेत पर जाती और देश का किसान बना देती है। सच अगर नारी पुरुष को प्रेरणा सही दिशा में दे। तब पुरुष तपती दोपहर में भी मेहनत और लगन करता है। तपती दोपहर में रानी और अजय अब जीवन के सच में खेती किसानी के साथ-साथ देश के अन्नदाता बन चुकें हैं।
नीरज कुमार अग्रवाल चंदौसी उ.प्र
HARSHADA GOSAVI
12-Dec-2024 01:51 PM
Awesome
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madhura
21-Sep-2024 03:14 PM
Amazing
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Babita patel
03-Jul-2024 09:07 AM
👌👍👌
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